Save 20% off! Join our newsletter and get 20% off right away!

मिठाई जो मुगलों की पसंद थी उसका इतिहास जानकर हैरान रह जाएंगे आप

Agra Ka Petha
Agra Ka Petha

Lifestyle Desk: मोहब्बत की निशानी यानी ताजमहल को कौन नहीं जानता है. इस मोहब्बत की निशानी को ताजमहल को देखने दूर-दूर से लोग आते है. इस खूबसूरत इमारत को देखने का सपना हर एक कपल का होता है. इसी सपने को पूरा करने कपल्स दूर-दूर से भारत के आगरा में आते है. मोहब्बत की निशानी ताजमहल को सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया है. हालांकि दुनिया में आगरा शहर को मोहब्बत की निशानी के साथ-साथ आगरा के पेठे के लिए भी काफी मशहूर हैं.

आगरा के पेठे की भी अपनी ही एक प्रसिद्ध कहानी और रोचक कहानी है. इस भारत में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसने आगरा का मशहूर पेठा ना खाया हो. आगरा का पेठा देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी काफी मशहूर है. लेकिन क्या आप जानते है कि जिस पेठे को आप शौक से खाते है, उस पेठे की खोज कब और कैसे हुई? हालांकि शायद आप नहीं जानते होंगे तो चलिए आज इस लेख में हम आपको पेठे की जबरदस्त रोचक कहानी बताते है. 

आखिर किसके कहने पर बना पेठा?

पेठा जिसे आप बड़े चाव से खाते है, क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर इसे सबसे पहले किसने बनवाया होगा. कई कहानियों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि पेठे की खोज का पूरा श्रेय मुगल बादशाह शाहजहां को जाता है. शाहजहां के शासनकाल में ही पेठे की खोज की गई थी. कहा जाता है कि जब ताजमहल का निर्माण हो रहा था, तब शाहजहां ने अपने रसोइयों को कहा कि एक ऐसी मिठाई बनाओ जो ताजमहल की तरह शुद्ध, साफ और सफेद हो. 

तब शाहजहां के आदेश पर रसोइयां ने सफेद कद्दू से पेठे जैसी मिठाई को जन्म दिया. ऐसा भी कहा जाता है कि इस मिठाई को खाने के लिए मजदूरों को भी दिया जाता है. जिससे उन्हें काम करने के लिए ज्यादा एनर्जी मिलती थी.   

एक ये भी कहानी मशहूर

पेठे की कहानी को लेकर एक नहीं बल्कि कई कहानियां प्रचलित है. जिनमें से हम आपको कुछ कहानियां बता रहे है. पेठे की खोज को लेकर एक ऐसी कहानी भी प्रचलित है कि ताजमहल का निर्माण कर रहे मजदूर रोजाना एक ही तरह का खाना खा-खाकर ऊबने लगे थे और बीमार पड़ रहे थे. ऐसे में मजदूरों ने शाहजहां से कुछ अलग खाने की मांग की. जिसके बाद शाहजहां ने मजदूरों की इच्छा पूरी करने के लिए अपने उस्ताद ईसा की मदद ली. मजदूरों की इस मांग को पूरा करने के लिए ईसा एक पीर के पास गए. पीर ने ध्यान करते समय पेठे की विधि हासिल की और फिर शाहजहां के रसोइयां ने उस विधि से पेठ बनाया. तभी से पेठे का चलन शुरू हो गया. 

हालांकि समय के साथ-साथ पेठे का स्वरूप बदलता जा रहा है. अब अलग-अलग तरह के पेठे मिलने लगे है. इस पेठे का स्वाद देश-विदेश के सभी लोग चख चुके है. जिसके चलते पेठे के स्वाद के फेमस होने के वजह से इस मिठाई को GI Tag भी मिल चुका है.